• Check mi account
  • Contact Us
  • Services
  • Login
  • Register
  • Fza Chat
  ₹0.00
new logo 2
Futurezoneacademy
Generic selectors
Exact matches only
Search in title
Search in content
Post Type Selectors
  • Games & News
  • Mobiles & Gudgets
    • Mobile Review
    • Gudgets
    • iPhone
  • Firmware & Tools
    • Flash File
    • Flash Tool
    • Drivers
  • Frp File
  • Tools
    • CRACK TOOL
    • Frp On
    • Apple Tools
    • UMT/UMT-PRO
    • Uni Android Tool
    • Tfm Tool Pro
    • Unlocktool
    • Eft Pro
  • Order Here
    • Cart
    • Shop
  • Tech Blog

New batches for 10th and 12th classes started. Click to join now with unbelievably low fees! Achieve 90%+ marks in board exams with www.excellentshiksha.com and our top-notch faculty team.

future zone academy class – 12 physics

class – 12 physics

class 12 physics [कक्षा १२ का भोतिक विज्ञान ]

Class 12 physics  में दो भाग जिनमे कुल 16  इकाईया है . अलग अलग प्रकाशन की बुक्स में लेखक अपने हिसाब से इकाइयों का वर्गीकरण करता है ,बुक में कुल अध्याय 31 थे लेकिन लेटेस्ट अपडेट के करान इनमे कुछ कमी हो गयी है हम आपको latest syllabus के हिसाब से नोट्स provide कर रहे है 1

Table of Contents

Toggle
    • class 12 physics [कक्षा १२ का भोतिक विज्ञान ]
    • CLASS 12 PHYSICS PART -01
    • CHAPTER-03 [विद्युत विभव]
    • CHAPTER -03 PART-01
    • CHAPTER -03 PART-02 [NOTES]
    • CHAPTER-03 PART-03
    • CHAPTER-03 PART-04 [NOTES]
  • CHAPTER-04 [वैद्युत धारिता ]
  • CHAPTER-04 PART-01 [NOTES]
  • CHAPTER-04 PART-02[NOTES]
  • CHAPTER -04 PART-03 [NOTES]
  • CHAPTER-04 PART-04 [NOTES]
  • chapter-05 [विद्युत धारा]
  • CHAPTER-05 PART-01 [NOTES]
  • CHAPTER-05 PART-02 [NOTES]
    • CHAPTER-05 PART-03 [NOTES]
    • CHAPTER-05 PART-04 [NOTES]
    • CHAPTER-05 PART-05 [NOTES]
    • CHAPTER-05 PART-06 [NOTES]
    • #:-  विभव मापी :- यह एक एसा उपकरण है जिसकी सहायता से दो        बिन्दुओ के बीच विभवान्तर अथवा सेल का विद्युत वाहक बल ज्ञात      किया जा सकता है                                                                                                                       #:- रचना :- इसमें अधिक विशिष्ट प्रतिरोध वाले मेगनन के टार लगे होते है और बैटरी व धारामापी का चित्र अनुसार संयोजन किया जाता है इसमें लगे टार की लम्बाई एक मीटर होती है  
    •      #:- सिद्धांत :- यह उपकरण  विभव प्रवणता के आधार  पर कार्य करता है   अर्थात यदि धारामापी में L लम्बाई पर धारा का मान शून्य पाया जाता है तो  परिपथ में विद्युत विभव                          v=E = kxL  होता है   #:-विभव मापी के उपयोग :- विभव मापी का उपयोग निम्न प्रकार से किया जा सकता है –    1- दो सेलो के विद्युत वाहक बलो की तुलना करने में                          2- सेल का आंतरिक प्रतिरोध ज्ञात करने में                                       #:- विभव मापी की सहायता से दो सेलो के विद्युत वाहक बलों की तुलना करना :-                                               
    • विभव मापी के द्वारा सेलो के विद्युत वाहक बलों की तुलना करने के लिए सेलो को चित्रानुसार विभव मापी में जोड़ा जाता है – 
    • जब परिपथ की पहली कुंजी को ओन किया जाता है तो पहले सेल का विद्युत विभव ज्ञात  करने के लिए विभव मापी में माना L 1 दुरी पर संतुलन की स्थिति प्राप्त  होती है तब – 
    • E 1 =  k L 1 ————–> समीकरण 1 
    • इसी प्रकार जब कुंजी दूसरी को ओन करते है तो विभव मापी में माना L 2 पर संतुलन की स्थिति प्राप्त होती है तब – 
    •                E2 =  k L2   —————–> समीकरण 2            
    • विभव मापी के द्वारा सेल का आंतरिक प्रतिरोध  ज्ञात करने  लिए सेल को चित्रानुसार विभव मापी में जोड़ा जाता है – 
    •  
    •                                               
  • CHAPTER-06 [विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव ]
  • CHAPTER-06 PART-01 [NOTES]
    •  WELCOME TO FUTURE ZONE ACADEMY CLASS- 12         [PHYSICS] CH -06  PART -01
  • CHAPTER-06 PART-02 [NOTES]
    •  WELCOME TO FUTURE ZONE ACADEMY CLASS- 12         [PHYSICS] CH -06  PART -02 
  • CHAPTER-06 PART-03 [NOTES]
    • WELCOME TO FUTURE ZONE ACADEMY CLASS- 12         [PHYSICS] CH -06  PART -03 
    • #:-परिमित लंबाई के रिजुरेखिय धारावाही चालक के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र:-माना AB एक सीधा धारावाहि चालक तार है जिसमें I धारा बह रही है इसके कारण R दूरी पर स्थित बिंदु p पर चुंबकीय क्षेत्र ज्ञात करना है तब चित्रानुसार बायो सेवृत के नियम अनुसार  dl अल्पांश दूरी के कारण चुंबकीय क्षेत्र – 
  • chapter-06 part-04 [notes]
    • WELCOME TO FUTURE ZONE ACADEMY CLASS- 12         [PHYSICS] CH -06  PART -04
    • WELCOME TO FUTURE ZONE ACADEMY CLASS- 12         [PHYSICS] CH -06  PART -04
  • CHAPTER-06 PART-05 [NOTES]
    • WELCOME TO FUTURE ZONE ACADEMY CLASS- 12         [PHYSICS] CH -06  PART -05 
  • CHAPTER
PHYSICS PART -01
PHYSICS PART -02

CLASS 12 PHYSICS PART -01

CLASS 12 PHYSICS PART -01 में कुल 13 चैप्टर है जिन्हें इकाइयों में बाँट कर रखा है और सबसे ज्यादा न्यूमेरिकल भी इसी पार्ट्स में है अत: आपसे गुजारिस है की आप इस पार्ट्स को पुरे ध्यान से पढ़े और अगर कोई भी प्रॉब्लम आपको होती है तो आप कॉमेंट्स करके उसका समाधान पूछ सकते है 

CHPATER -01
CHPATER -02
CHPATER -03
CHPATER -04
CHPATER -05
CHPATER -06
CHPATER -07
CHPATER -08
CHPATER -09
CHPATER -10
CHPATER -11
CHPATER -12
CHPATER -13

CHAPTER-03 [विद्युत विभव]

PART-01
PART-02
PART-03
PART-04

CHAPTER -03 PART-01

CHAPTER -03 PART-01 [VIDEO]

                              WELCOME TO FUTURE ZONE ACADEMY 
                                                     CLASS :- 12TH 
                                                   PHYSICS CH -03 PART-01

UNITE- 01
NAME- स्थिर वैधुतिकी [ STATIC ELECTRICITY ]

CHAPTER-03
NAME – वैद्युत विभव 
#1:- विद्युत विभव :- वह भोतिक राशि विद्युत विभव कहलाती है जो किन्ही दो आवेशित वस्तुओ के मध्य आवेश के प्रवाह की दिशा का निर्धारण करती है 1

#2 :- विद्युत विभवन्तर :– वद्युत क्षेत्र में किसी धन परिक्षण आवेश को किसी एक  बिंदु से दुसरे बिंदु तक ले जाने में  किया गया कार्य उन बिन्दुओ के बीच वद्युत विभवान्तर कहलाता है इसे V  से प्रदर्शित करते है अर्थात –
                                                      V= V2 – V1  = W /q
                                          मात्रक – वोल्ट या जुल प्रति कूलाम्ब
                                          राशी – अदिश
#3:- विद्युत विभव :- किसी एक धन आवेश (परिक्षण आवेश ) को विद्युत क्षेत्र में अनंत से किसी बिंदु तक लाने  में विद्युत क्षेत्र के विरुद्ध  किया गया कार्य विद्युत विभव कहलाता है इसे भी V से प्रदर्शित करते है अर्थात –
                                                     V = W / q
                                            मात्रक – वोल्ट या जुल प्रति कूलाम्ब
                                               राशी – अदिश
#४:- एकल बिंदु अआवेश के कारन विद्युत विभव के लिए व्यंजक :- माना एक बिंदु आवेश q परावैद्युत  K वाले माध्यम में बिंदु O पर उपस्थित है बिंदु आवेश के कारन वद्युत क्षेत्र में बिंदु O से r दुरी पर स्थित बिंदु p पर विद्युत विभव ज्ञात करना है –

 

 

#5:- बिंदु आवेशो के कारण बने निकाय में विद्युत विभव :-  अनेक बिंदु आवेशो के कारन बने निकाय में किसी बिंदु पर विद्युत विभव उनके द्वारा अलग अलग विभव के बीज गणितीय योग के बराबर होता है 

CHAPTER -03 PART-02 [NOTES]

CHAPTER-03 PART-02 [VIDEO]

                               WELCOME TO FUTURE ZONE ACADEMY 
                                                     CLASS :- 12TH 
                                                   PHYSICS CH -03 PART-02

UNITE- 01
NAME- स्थिर वैधुतिकी [ STATIC ELECTRICITY ]


CHAPTER-03
NAME – वैद्युत विभव 
#:- विद्युत द्विधुर्व के कारन विद्युत विभव :-  इसके कारन निम्नलिखित स्थिति यो में विभव ज्ञात किया जा सकता है –
1:- अक्षीय स्थिति में 
2:- निर्क्षीय स्थिति में 
 3:- किसी भी स्थिति में 

#:- विद्युत द्विधुर्व के कारन  अक्षीय स्थिति में विद्युत विभव:- माना  एक विद्युत द्विधुर्व  है जिससे अक्षीय स्थिति में r दुरी पर विद्युत विभव ज्ञात करना है तब चित्रानुसार 

 

 
#:- विद्युत द्विधुर्व के कारन निर्क्षीय स्थिति में विद्युत विभव :-  माना  एक विद्युत द्विधुर्व  है जिससे          निर्क्षीय स्थिति  में r दुरी पर विद्युत विभव ज्ञात करना है तब चित्रानुसार       

                                

#:- विद्युत द्विधुर्व के कारन किसी भी  स्थिति में विद्युत विभव:-   माना  एक विद्युत द्विधुर्व  है जिससे में r दुरी पर अक्षीय स्थिति में θ कोण पर  विद्युत विभव ज्ञात करना है तब चित्रानुसार     

 

                 

CHAPTER-03 PART-03

CHAPTER-03 PART-03 [VIDEO]

                               WELCOME TO FUTURE ZONE ACADEMY 
                                                     CLASS :- 12TH 
                                                   PHYSICS CH -03 PART-03

UNITE- 01
NAME- स्थिर वैधुतिकी [ STATIC ELECTRICITY ]


CHAPTER-03

NAME – वैद्युत विभव 
#:-  विभव प्रवणता :- बिंदु आवेश के कारन विद्युत क्षेत्र की दिशा में आवेश से दुरी परिवर्तन के साथ साथ विभव में भी परिवर्तन होता इस परिवर्तन की दर को विभव प्रवणता कहते है इसे K से प्रदर्शित करते है सामान्यत: इसे निम्न सूत्र से ज्ञात करते है –
                                                       K = dv / dr   
                                                  मात्रक – वोल्ट / मीटर
                                                     राशि – सदिश   
                                                    दिशा – ऋण आवेश से धन आवेश की और 
                                                    विमा – [ML^2T^-3A^-1] 

#:-  विभव प्रवणता और विद्युत क्षेत्र  की तीर्वता में सम्बन्ध –
माना बिंदु o पर एक धन आवेश q स्थित है इस बिंदु के सापेक्ष बिंदु p स्थिति r है आवेश q के  कारन बिंदु p पर विद्युत क्षेत्र की तीर्वता E है तब चित्रानुसार –

 
#:- समविभव पृष्ट :- एक एसा पृष्ट जिस के प्रत्येक बिंदु पर विभव समान हो समविभव पृष्ट कहलाता है 1 
 
इसमें निम्न लिखित गुण विधमान होते है –                                                                                               
1) समविभव पृष्ट क्र प्रत्येक बिंदु पर विभव समान होता है                                                                       
2:- समविभव पृष्ट के ऊपर एक आवेश को एक बिंदु से दुसरे बिंदु तक ले जाने में किया गया कार्य शून्य होता है                                                                                                                                        
3:- दो समविभव पृष्ट कभी भी एक दुसरे को नही काटते क्योंकि यदि एसा होता है तो कटान बिंदु पर दो स्पर्श रेखा खिंची जा सकेगी जो दो अलग अलग दिशा  को प्रदर्शित करेगी जो की असम्भव है 
#:- कुछ समविभव पृष्ट :- कुछ विशेष आवेशो के कारण समविभव पृष्ट इस प्रकार के होते है – 
 
नोट :- एक समान विद्युत क्षेत्र में आवेशित कण की गति :-                                                                  
 v = √2vq  / m                                                     
इसमें कण का गमन पथ परवलय कार  होता है                        
                                              
#:- विद्युत स्थितिज उर्जा :-  विद्युत बल के विरुद्ध किया गया कार्य स्थितिज उर्जा के रूप में संचित हो जाता है इसे सामान्यत:- निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात करते है –
नोट :- दो या दो से अधिक आवेशो से बने निकायों मे किसी बिंदु पर स्थितिज उर्जा निकाय के सभी     आवेशो की स्थितिज उर्जा बीज गणितीय योग के बराबर होती है                                     
                                                     
 

CHAPTER-03 PART-04 [NOTES]

CHAPTER-03 PART-04 [VIDEO]

                          WELCOME TO FUTURE ZONE ACADEMY 
                                                     CLASS :- 12TH 
                                                   PHYSICS CH -03 PART-04 

UNITE- 01
NAME- स्थिर वैधुतिकी [ STATIC ELECTRICITY ]


CHAPTER-03

NAME – वैद्युत विभव 
#:- एक समान विद्युत क्षेत्र में विद्युत द्विधुर्व को घुमाने में किया गया कार्य :- 
माना एक विद्युत द्विधुर्व AB जिसका विद्युत द्विधुर्व आघूर्ण  p है एक समान विद्युत क्षेत्र में चित्र अनुसार रखा है 

#:- आवेशित चालक का विद्युत क्षेत्र एवं विद्युत विभव :- प्रत्येक चालक में मुक्त इलेक्ट्रान पाए जाते है जो चालक के अंदर नियमित व अनियमित गति करते रहते है इसलिए इनसे निम्न निष्कर्ष निकले जा सकते है  :-                                                                                                                                                          
1:- आवेशित चालक के अंदर प्रत्येक स्थान पर विद्युत विभव समान होता है                                          
 2:- स्तेतिक स्थिति में आवेशित चालक का सम्पूर्ण आवेश केवल उसके पृष्ट पर वितरित रहता है             
 3:- आवेशित चालक के अंदर प्रत्येक पृष्ट पर विद्युत क्शीत्र की दिशा अभिल्म्बव्त बाहर की ओर होती है 
4:- प्रत्येक चालक के अंदर विद्युत क्षेत्र की तीर्वता शून्य होती  है                                                              
 
………………….THE END ………………….. 
 

CHAPTER-04 [वैद्युत धारिता ]

PART-01
PART-02
PART-03
PART-04

CHAPTER-04 PART-01 [NOTES]

CHAPTER-04 PART-01 [VIDEO]

                         WELCOME TO FUTURE ZONE ACADEMY 
                                                     CLASS :- 12TH 
                                                   PHYSICS CH -04 PART-01

UNITE- 01
NAME- स्थिर वैधुतिकी [ STATIC ELECTRICITY ]


CHAPTER-04
NAME – वैद्युत  धारिता 

#:- संधारित्र :- अनेक इलेक्ट्रोनिक उपकरणों में आवेश के संग्रह  के लिए एक युक्ति प्रयुक्त की जाती है जिसे संधारित्र कहते है इस अध्य्याय में हम केवल इसी के बारे में पढ़ेंगे 
 
#:- पदार्थो का वर्गीकरण :- सामान्यत: पदार्थो को निम्न वर्गो में बांटा गया है – 
 1) चालक   2) विद्युत रोधी   3) पराविद्युत  4 ) अर्ध चालक 
 इनके बारे में आप केमिस्ट्री के पहले अध्य्याय में पढ़ चुके है 
 
#:- भंजक विभवअंतर  :- संधारित्र की प्लेटो के बीच वह विभवान्तर जिस पर प्लेटो के बीच रखे परावैद्युत पदार्थे में विद्युत भंजन ठीक प्रारम्भ होने की स्थिति में  पहुंच जाये भंजक विभवान्तर कहलाता है 
 
#:- विद्युत धारिता की अभिधारना :- धारिता का शाब्दिक अर्थ होता है ग्रहण करना अर्थात स्पष्ट है किसी चालक की एक निश्चित अधिकतम आवेश ग्रहण करने की क्षमता होती है जिसे चालक की विद्युत धारिता कहते है इसे C से प्रदर्शित करते है  यदि किसी चालक पर Q  आवेश देने पर उसका विभव v हो जाये तो उसकी धारिता  
                                     C = Q/ v   होती है 
                             मात्रक – कूलाम्ब प्रति वोल्ट  अथवा फेर्रेड होता है 
 
#:- नोट :- विद्युत धारिता का मात्रक फेर्रेड एक भुत बड़ा मात्रक होता है इसलिए इसे  micro या pico में नापते है  यह एक अदिश राशी है इसकी विमा   [M-1L-2T4A2] होती है 
 
 #:- विलगित गोलीय चाक के कारन विद्युत धारिता :– माना r त्र्ज्य के एक विलगित गोलीय चालक को q  आवेश दिया गया है जो उसके पृष्ट पर एक समान रूप से वितरित हो गया है यदि गोलीय चालक  परावैद्युत  K  में स्थित हो  तब –
 
 
 #:- संधारित्र का सिधांत :- यदि किसी चालक के आवेशित होने पर प्रथ्वी से सम्बन्धित एक अन्य चालक को रख दे तो वह पहले चालक के विभव को निरंतर कम करता रहता है जिससे उसकी धारिता बढती रहती है यही संधारित्र की धारिता का सिधांत है 
 
#:-संधारित्र के प्रकार :- संधारित्र निम्न प्रकार का होता है – 
 1) समांतर प्लेट संधारित्र  2) गोलीय संधारित्र  3) बेलनाकार संधारित्र  4) विद्युत अपघट्य संधारित्र  5) परिवर्तित संधारित्र 
 इस अध्याय में हम केवल समांतर प्लेट संधारित्र और गोलीय संधारित्र क्र बारे में अध्ययन करेंगे 
 
 #:- समांतर प्लेट संधारित्र  :- समांतर प्लेट संधारित्र की रचना धातु की दो प्लेटो को प्रथककारी स्टैंड पर एक दुसरे से कुछ दुरी पर रखकर करते है चूँकि इसमें प्लेटे एक दुसरे के समांतर होती है इसलिए इसे समांतर प्लेट संधारित्र कहते है 
 
 
 #:- समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता के लिए व्यंजक :- माना एक  समांतर प्लेट संधारित्र दो समांतर प्लेटो x और y से मिलकर बना है जिनका अनुप्रस्थ क्षेत्रफल Aतथा उनके बीच की दुरी  d है और प्लेटो के बीच परावैद्युत पदार्थ K भरा है यदि प्लेट x को q आवेश दिया गया है और y को – q आवेश दिया गया है
                                      
 

CHAPTER-04 PART-02[NOTES]

CHAPTER -04 PART-02 [VIDEO]
                                 WELCOME TO FUTURE ZONE ACADEMY 
                                                     CLASS :- 12TH 
                                                   PHYSICS CH -04 PART-02

UNITE- 01
NAME- स्थिर वैधुतिकी [ STATIC ELECTRICITY ]


CHAPTER-04
NAME – वैद्युत  धारिता 
#:- परावैद्युत से आंशिक रूप से भरे समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता के लिए व्यंजक :- माना एक समांतर प्लेट संधारित्र दो प्लेटो से मिलकरबना है जिनका क्षेत्रफल A है , इनके बीच की   दुरी d है और इन प्लेटो के मध्य परावैद्युतांक K है यदि परावैद्युतांक प्लेट की मोटाई t हो
 
 

#:- संधारित्रो का संयोजन :- संधारित्र को दो  विधियों से जोड़ा जा सकता है – 
 1) समांतर क्रम में    2) श्रेणी क्रम में 
#:- समांतर क्रम में संधारित्र का संयोजन :- संधारित्र को समांतर क्रम में जोड़ने के लिए प्रत्येक संधारित्र  का एक सिरा बैटरी के एक सिरे से चित्रानुसार जोड़ा जाता है – 
                                                                                            
समांतर क्रम में विभव समान होता है इसलिए सभी संधारित्र में विभव v है जबकि इनमे आवेश अलग अलग होता है जो निम्न प्रकार से है – 
 q1 =C1V    , q2 = C2V      q3 = C3V        होगा 
 इसलिए परिपथ में कुल आवेश 
 q = q1 + q2 + q3 
C(टोटल )V = C1V + C2V + C3V
 अर्थात 
C( टोटल) = C1 +C2 + C3  होगा
  अत: हम कह सकते है समांतर क्रम में संधारित्रो का तुल्य उनके बिजगानितीय  योग के बराबर होता है 
 
#:- श्रेणी क्रम में संधारित्र का संयोजन :- संधारित्रो को श्रेणी क्रम में जोड़ने के लिए प्रत्येक संधारित्र का एक सिरा दुसरे सिरे से चित्रानुसार जोड़ा जाता है – 
श्रेणी क्रम में आवेश समान रहता है जबकि विभव अलग अलग रहता है इसलिए आवेश 
q1 =q2=q3=q ( मानने पर )
परन्तु हम जानते है की 
q1=C1V1 , q2=C2V2  , q3=C3V3  इसलिए 
 V1 = q1/C1 , V2 = q2 / C2  , V3 = q3/ C3  होगा 
अत: परिपथ में कुल विभव 
 V= V1 + V2 + V3 
q/C = q1/C1+q2 / C2+ q3/ C3 
क्योंकि यहाँ आवेश समान है इसलिए 
 q/C = q/C1 + q/C2+q/C3
अत: 
1/C =1/C1 + 1/C2 + 1/C3 
 इसलिए हम कह  सकते है की श्रेणी क्रम में संधारित्र का तुल्य उनके व्युत्क्रम के बिजगानितीय योग के व्युत्क्रम के बराबर होता है 
 
 
   

CHAPTER -04 PART-03 [NOTES]

CHAPTER-04 PART-03 [VIDEO ]

       WELCOME TO FUTURE ZONE ACADEMY 
                                                     CLASS :- 12TH 
                                                   PHYSICS CH -04 PART-03 

UNITE- 01
NAME- स्थिर वैधुतिकी [ STATIC ELECTRICITY ]


CHAPTER-04
NAME – वैद्युत  धारिता 

 #:- आवेशित श्मान्नाधरित्र में संचित उर्जा :- माना  संधारित्र की धारिता c है जब संधारित्र को आवेशित किया जाता है तो उसका विभव शून्य से बढ़ते हुए v हो जाता है माना किसी क्षण संधारित्र पर आवेश q ‘ तथा विभव v ‘ है अत: 
#:- संधारित्र में उर्जा घनत्व :- विद्युत क्षेत्र में प्रति एकांक आयतन में उपस्थित संचित उर्जा को उर्जा घनत्व कहते है इसे u से प्रदर्शित करते है अर्थात 
u = संचित उर्जा / आयतन = U / आयतन 
`#:- आवेशित संधारित्रो  के संयोजन पर आवेश का पुन: वितरण और उर्जा हानि :- माना C 1 व C 2 धारिता वाले दो संधारित्र है जिन पर क्रमश: आवेश q 1  व q 2 है यदि किसी समय इन पर विभव क्रमश:  v 1  व v 2 हो तब  
 q 1 = c 1 v 1   और q 2 = c 2 v 2 
चित्र अनुसार जोड़ने पर माना इनका आवेश परिवर्तित होकर q 1 ‘ व q 2 ‘ हो जाता है और इनका विभव v हो जाता है तब 
q 1 ‘ = c 1 v   और q 2  = c 2 v 
तब चालक के सयोजन का कुल आवेश  
 q = q 1 ‘ + q 2 ‘ 
= c 1 v  + c 2 v 
 =(c 1 + c 2 ) v 
आवेश के संरक्ष्ण के अनुसार – 
 संयोजन के पहले कुल आवेश = संयोजन के बाद कुल आवेश 
q 1 + q 2 = q 1 ‘ + q 2 ‘ 
c 1 v 1 + c 2 v 2 =(c 1 + c 2 ) v 
अत: v=(c 1 v 1 + c 2 v 2 )/ (c 1 + c 2 ) 
 इस सूत्र की सहायता से कुल विभव ज्ञात किया जा सकता है 
 संयोजन में हानि निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात की जाती है –
 

CHAPTER-04 PART-04 [NOTES]

CHAPTER-04 PART-04 VIDEO

                              WELCOME TO FUTURE ZONE ACADEMY 
                                                     CLASS :- 12TH 
                                                   PHYSICS CH -04 PART-03 

 

UNITE- 01
NAME- स्थिर वैधुतिकी [ STATIC ELECTRICITY ]


CHAPTER-04
NAME – वैद्युत  धारिता 

 

 #:- वान डे ग्राफ जनित्र :- सन 1929 रोबर्ट जे . वान डे ग्राफ ने एक एसी  मसीन बनाई  जिसके द्वारा कुछ मिलियन वोल्ट की कोटि का अति उच्च विद्युत विभव उत्पन्न किया जा सकता` है जिसकी सहायता से आवेशित कानो को त्वरित कर  किसी भी कण के नाभिक को तोड़कर उसका अध्ययन किया जा सकता है 
 
 #:-सिधांत :- यह मसीन निम्न सिधान्तो पर कार्य करती है – 
 1:- खोखले गोले को दिया गया आवेश उसके बहरी पृष्ट पर एक समान रूप से वितरित हो जाता है 
 2:- किसी खोखले गोले को बहतर छोटा गोलीय आवेशित चालक रखकर दोनों को सुचालक टार से जोड़ने पर चालक का समस्त आवेश  उसके बहरी पृष्ट पर एक समान रूप से वितरित हो जाता है 
 3:- आवेशित चालक नुकीले शिरे  पर आवेश घनत्व अधिक होता है इसलिए आवेश नुकीले सिरे से चालक की और जाता है 
 

 #:- संरचना :-  इस मसीन में एक विशाल धातु का खोखला गोला S होता है जो चित्र अनुसार दो वैदुत रोधी सत्म्भो पर रखा होता है और इसमें दो पुली लगी रहती जिनपर एक पट्टा लगा रहता है जो आवेश को एक सिरे से दुसरे सिरे तक ले जाने का कार्य करता है  पुली   (1 ) के पास में एक कंघी लगी रहती है जो आवेश को H . T  श्रोत से को लेकर पट्टे पर डालती है  और ये पट्टा इस आवेश को दूसरी पुली  तक  ले जाने का कार्य करता  है  

 
 #:- कार्य विधि :- जब कंघी C 1  उच्च कोटि के आवेश श्रोत से आवेश लेकर पुली 1 पर लाकर डाल देता है तो पुली पर लगे पट्टे की सहायता से आवेश दूसरी पुली तक पहुँच जाता है जहाँ से वह  दूसरी कंघी   द्वारा इस आवेश को एकत्र कर लिया जाता है और यह खोखले गोले के ऊपर एक समान रूप से वितरित हो जाता है यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक अति उच्च विभव उत्पन्न न हो जाये  जब अति उच्च विभव  उत्पन्न हो जाता  है तब आवेशित कण को रखकर उसे तवरित कर लेते है जिसके द्वारा किसी भी नाभिक को आसानी से तोड़कर उसका अध्ययन किया जा सकता है 
 
 #:- उपयोग :- इस मसीन का निम्न जगह उपयोग किया जाता है –                                                     
 1: — आवेशित कणों को त्वरित करने में                                      
 2:- छोटे छोटे नाभिको का अध्ययन करने के लिए उन्हें तोड़ने में 
 
…………….  THE END ……………
                          

chapter-05 [विद्युत धारा]

PART-01
PART-02
PART-03
PART-04
PART-05
PART-06
PART-07

CHAPTER-05 PART-01 [NOTES]

CHAPTER-05 PART-01 [VIDEO]

WELCOME TO FUTURE ZONE ACADEMY 
                                                     CLASS :- 12TH 
                                                   PHYSICS CH -05  PART-01

UNITE- 02
NAME- विद्युत धारा [electric current ]



CHAPTER-05 
NAME – विद्युत चालन अथवा विद्युत धारा 

 #:- विद्युत धारा :- किसी परिपथ में आवेश के प्रवाह कि दर विद्युत धारा कहलाती है अर्थात 
                                                      I = q / t 
                            मात्रक – कूलाम्ब प्रति सेकंड अथवा एम्पेयर 
                            राशी – अदिश राशी 
                            क्यों – क्योंकि यह सदिश के नियमो का पालन नही करती है 
                            दिशा – धनावेश से ऋण आवेश की ओर अथवा इलेक्ट्रान के गति के विपरीत 
 
#:- धारा घनत्व :- किसी चालक के प्रति एकांक अनुप्रस्थ परिच्छेद क्षेत्रफल से अभिल्म्ब्वत गुजरने वाली विद्युत धारा को धारा घनत्व कहते है इसे j से प्रदर्शित करते है अर्थात 
                                                    j = i / A 
                                मात्रक – एम्पेयर प्रति वर्ग मीटर 
                                दिशा – धारा की दिशा में 
                                राशी- सदिश 
                                विमा – [L-2A]
 
#:-विद्युत चालन :- आवेशित कणों का एक स्थान से दुसरे स्थान की ओर गमन अथवा स्थान्तरण विद्युत चालन कहलाता है तथा ये गतिमान आवेशित कण आवेश वाहक कहलाते है 
 
#:- धातुओ में विद्युत चालन के लिए मुक्त एल्क्ट्रों मॉडल :-  सभी पदार्थो की रचना छोटे छोटे कणों से मिलकर हुई है जिन्हें हम अणु या परमाणु कहते है प्रत्येक परमाणु में एक नाभिक होता है जिसमे न्यूटरोंन  व प्रोटोन  होते है और इलेक्ट्रान नाभिक के चारो और वर्त्ताकर कक्षों में गति करते है और ये इलेक्ट्रान नाभिकीय बल के कारन नाभिक के साथ बंधे रहते है जो इलेक्ट्रान सामान्यत: कमरे के ताप पर विक्षोभ के कारण नाभिक से अलग हो जाते है उन्हें मुक्त इलेक्ट्रान कहते है ये इलेक्ट्रान चालन इलेक्ट्रान के नाम से भी जाने जाते है 
 
 #:- धात्विक चालक में विद्युत आवेश का प्रवाह और अनुगमन वेग :- किसी चालक के सिरों को बटरी से जोड़ने पर एलेक्ट्रोनो द्वारा त्वरक विभव द्वारा प्राप्त होने वाला औसत वेग अनुगमन वेग कहलाता है इसे Vd से प्रदर्शित करते है 
 
 #:- माध्य मुक्त पथ :-  किसी इलेक्ट्रान द्वारा दो क्रमागत टकरो  के बीच चली गयी दुरी को उसका मध्य मुक्त पथ कहते है इसे लेमडा से प्रदर्शिट करते है 
 
 #:- श्रन्तिकाल :- दो क्रमागत टकरो के बीच के समय अन्तराल को श्रन्तिकाल कहते है इसे टॉय से प्रदर्शित करते है इसका मान लगभग 10 की घात – 4 होता है 



CHAPTER-05 PART-02 [NOTES]

CHAPTER-05 PART-02 [VIDEO]
 WELCOME TO FUTURE ZONE ACADEMY                                                         
                       CLASS :- 12TH                                                                                                                                                 
           PHYSICS CH -05  PART-02                                                     
UNITE- 02                                    
NAME- विद्युत धारा [electric current ]                                            
CHAPTER-05                                             
NAME – विद्युत चालन अथवा विद्युत धारा                                         
#:- अनुगमन वेग और विद्युत धारा में संबंध के लिए व्यंजक ज्ञात करना:-                                             
                                                                                                              
                                                                                                              
#:- 3 :- गतिशीलता :-  एकांक विद्युत क्षेत्र में किसी आवेश वाहक का अनुगमन वेग गतिशीलता कहलाता है 
 अर्थात – ” अनुगमन वेग और वद्युत क्षेत्र की तीर्वता के अनुपात को गतिशीलता कहते है इसे म्यु से प्रदर्शित करते है “
                अर्थात गतिशीलता = विद्युत क्षेत्र की तीर्वता / अनुगमन वेग  
      = E / V d
               मात्रक – वर्ग मीटर / second – वोल्ट 
 NOTE :-  गतिशीलता का मान ताप मान बढ़ाने से घट जाता है क्योंकि तापमान बढ़ाने पर पदार्थ के अवयवी कणों की गति बढ़ जाती है जिसके फलस्वरूप श्रान्तिकाल घट जाता है जिसका सीधा प्रभाव गतिशीलता पर पड़ता है 
 NOTE  :- अर्धचालक की चालकता पर तापमान का उल्टा प्रभाव पड़ता है अर्थात जब तापमान बढ़ाया जाता है तो अर्धचालक की चालकता का मान बढ़ जाता है 
 #:- ओम का नियम :- जर्मन वैज्ञानिक डॉ साइमन ओम ने सं 1826  मे विभिनन  धातु  के सिरो पर विभवनतर           लगाकर एक नियम प्रतिपादित किया  जिसे ओम का  नियम कहते है –  
                                                  इस नियम के अनुसार यदि किसि चालक कि भोतिक अवसथ जैसे ताप , दाब ,                                  आदि नियत रहे तो चालक मे उतपन धारा उसके सिरो के मधय आरोपित विभवानतर के       अनुकरमानुपाति होति है                                                                    
अर्थात  V ∝ I
           V=IR
 जहाँ R एक नियतांक है जिसे विद्युत प्रतिरोध कहते है 
 
                                                                           
                                                                          
#:- विद्युत प्रति रोध :- किसी चालक की विद्युत धारा के मार्ग में चालक द्वारा लगाया गया अवरोध प्रति रोध कहलाता है इसे R से प्रदर्शित करते है यह सदेव परिपथ में उपस्थित विद्युत विभव और विद्युत धारा के अनुपात के  बराबर होता है  अर्थात 
 R = V / I 
 मात्रक – ओम अथवा वोल्ट प्रति एम्पेयर 
  
 
 
                                 
 
   

CHAPTER-05 PART-03 [NOTES]

CHAPTER-05 PART-03 [VIDEO]
 WELCOME TO FUTURE ZONE ACADEMY
CLASS- 12       
 [PHYSICS] CH -05 PART -03           
#:- चालक के प्रतिरोध को प्रभावित करने वाले कारक :- चालक के   प्रतिरोध निम्नलिखित कारक प्रभावित करते है – 
                 
 हम जानते है की ओम के नियम में जो नियतांक होता है वाही प्रतिरोध को प्रदर्शित करता है अत:- 
                                                                            
       
 से  स्पष्ट है की – 
 1- चालक का प्रतिरोध चालक तार की लम्बाई के अनुकार्मानुपति होता है
2- चालक का प्रतिरोध चालक टार के अनुप्रस्थ क्षेत्रफल के व्युत्क्रम   अनुक्र्मानुपाती  होता है
3- चालक का प्रतिरोध श्रन्तिकल के भी व्युत्क्रमानुपाती होता है            
#:- प्रतिरोध पर ताप का प्रभाव :- चालक का ताप मान बढ़ाने से    प्रतिरोध का मान बढ़ जाता है जबकि अर्धचालक और अचालक का    तापमान बढ़ाने से प्रतिरोध का मान घट जाता  है                          
 #:- तार को खींचने से तार के प्रतिरोध पर प्रभाव :- यदि किसी तार की लम्बाई को n गुना खिंच कर कर दिया जाता  है तो उसका प्रतिरोध n का वर्ग गुना हो जाता है 1  यह आपको नुमेरिकल ज्ञात करने में मदद करेगा 1    
#:- विद्युत चालकता :- किसी विद्युत परिपथ में वद्युत प्रतिरोध के व्युत्क्रम को विद्युत चालकता कहते है इसे G से प्रदर्शित करते है 
      अर्थात        G = 1/ R 
                                    मात्रक – महो अथवा ओम की घात -1  
                          इसका अन्य मात्रक सीमेंस भी होता है 
#:- विद्युत प्रतिरोधकता अथवा विशिष्ट प्रतिरोध :- विद्युत क्षेत्र में विद्युत क्षेत्र की तीर्वता और धारा घनत्व के अनुपात को चालक की प्रतिरोधकता कहते है इसे रो से प्रदर्शित करते है अर्थात 
       ρ= E / J 
                                                                            
  मात्रक -ओम मीटर  
 नोट :- किसी चालक के पदार्थ की प्रतिरोधकता का मान उस चालक के 1 मीटर लम्बे तथा 1 वर्ग मीटर अनुप्रस्थ कट के क्षेत्रफल वाले टुकड़े के प्रतिरोध के  बराबर  होता है 1 
  #:- विशिष्ट चालकता :- विशिष्ट प्रतिरोध के व्युत्क्रम को विशिष्ट    चालकता कहते है इसे सिग्मा से प्रदर्शित करते है अर्थात             
σ = 1 / ρ 
  मात्रक प्रति ओम प्रति मीटर 
 #:- ओमीय परिपथ :- वे परिपथ ओमीय परिपथ कहलाते है जो ओम के नियम का पालन करते है जैसे सामान्य परिपथ जो किघ्रो में प्रयुक्त किये जाते है 
#:- अनोमीय परिपथ :- वे परिपथ जो ओम के नियम का पूर्ण रूप से पालन नही करते है अनोमीय परिपथ कहलाते  है जैसे :- संधि डायोड , ट्रांसिस्टर आदि 
 #:- प्रतिरोधो का संयोजन :- प्रतिरोध को निम्न चिन्ह द्वारा प्रदर्शित   किया जाता है – 
प्रत्येक प्रतिरोध की निम्न दो प्रकार से जोड़ा जा सकता है  –   
 1:- समांतर क्रम में      2:- श्रेणी क्रम में     
1:- समांतर क्रम में प्रतिरोधो का संयोजन :- इसमें तुल्य प्रतिरोध सभी प्रतिरोधो के व्यत्क्र्म के बीज गणितीय योग के व्युत्क्रम के बराबर होता है 
 2:- श्रेणी क्रम में प्रतिरोधो का संयोजन :- इसमें तुल्य प्रतिरोध सभी प्रतिरोधो के बीज गणितीय योग के बराबर होता है 
नोट :-  आपने यह 10 वि क्लास में पढ़ा है इसलिए यह पर आपको बस इसे ज्ञात करना सिखाया जायेगा क्योंकि यह पेपर में नही आता है लेकिन इसके उपर नुमेरिकल जरूर आता है 
    

CHAPTER-05 PART-04 [NOTES]

CHAPTER-05 PART-04 [VIDEO]
 WELCOME TO FUTURE ZONE ACADEMY
CLASS- 12       
 [PHYSICS] CH -05 PART -04
#:- कार्बन प्रतिरोध :- इलेक्ट्रिक परिपथ में अधिक प्रतिरोध उत्पन्न करने के लिए तार का उपयोग उचित नही है क्योंकि अधिक लम्बाई का तार चहिये होगा जो की उपयोग नही किया जा सकता है 
अत: इसके लिए कार्बन प्रतिरोध का उपयोग किया जाता है जो कार्बन से मिलकर बना एक वर्णीय पदार्थ होता है  जिसमे रंगो के द्वारा प्रतिरोध बढ़ाया या घटाया जा सकता है – इसका निम्नलिखित सूत्र होता है – 
 इसे अछे से तय्यार करे ये पेपर में जरूर आता है 
#:- विद्युत उर्जा :- किसी चालक में धारा प्रवाहित करने से उसमे ऊष्मा उत्पन्न होने लगती है यही ऊष्मा उर्जा के रूप खर्च होती है इसे ही विद्युत उर्जा कहते है इसे निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात करते है – 
                                        W = V I t 
जहाँ  V परिपथ का विभव है   I परिपथ में धारा है और t परिपथ में धारा प्रवाहित होते रहने का समय है 
इसे निम्न एनी सूत्रों द्वारा भी ज्ञात किया जा सकता है – 
        W = V I t = I ^2 R t  = V^2 t / R  
#:-  विद्युत शक्ति :- किसी परिपथ में प्रति सेकंड व्यय होने वली ऊष्मा को अथवा उर्जा को विद्युत शक्ति कहते है इसे p से प्रदर्शित करते है अर्थात    p = w/ t 
               मात्रक – जुल / सेकंड 
  राशी – अदिश 
इसे निम्न सूत्रों द्वारा भी ज्ञात किया जा सकता है – 
              p =  V I = I^2 R= V^2 / R
 #;-  विद्युत उर्जा के व्यावहारिक मात्रक :- जुल उर्जा का सबसे छोटा मात्रक होता है इसलिए घरेलू व् औधोगित कार्यो के लिए प्रयुक्त विद्युत उर्जा के मापन केलिए किलोवाट – घनता अथवा बोर्ड ऑफ़ ट्रेड यूनिट का प्रयोग किया जाता है इसे सामान्य भाषा में यूनिट कहा जाता है   
   एक किलोवाट घंटा = 3.6 x 10  की घात  + 6 जुल   
#:-विद्युत सेल :- एक एसी युक्ति जो रासायनिक उर्जा को विद्युत उर्जा में बदलती है विद्युत सेल कहलाती है इसमें दो इलेक्ट्रोड होते है एक धनात्मक और दूसरा ऋणात्मक 
 
#:- विद्युत सेल के प्रकार :- ये दो प्रकार के होते है – 
 1- प्राथमिक सेल   2- द्वितीयक सेल 
 1 – प्राथमिक सेल :- ये वे सेल होते है जो एक बार प्रयोग के बाद पुन: उपयोग नही किये जा सकते है जैसे :- डेनियल सेल  वोल्टीय सेल आदि 
 2- द्वितीयक सेल :- ये वे सेल होते है जो एक बार उपयोग के बाद भी पुन: उपयोग किये जा सकते है जैसे :- सीसा संचायक सेल कैडमियम सेल 
 #:- सेल का  विद्युत वाहक बल :- एकांक आवेश को पुरे परिपथ में प्रवाहित करने में सेल द्वारा दी गयी उर्जा को सेल का विद्युत वाहक बल कहते है इसे V से प्रदर्शित करते है 
अर्थात     V = w / q  
 मात्रक – जुल / कूलाम्ब 
 इसका अन्य  मात्रक –  वोल्ट होता है 
 #:- टर्मिनल विभवान्तर :- एकांक आवेश को टर्मिनल से दुसरे टर्मिनल तक बही परिपथ में प्रवाहित कराने में आवश्यक उर्जा को सेल का टर्मिनल विभवान्तर कहते है इसे भी V से प्रदर्शित करते है 
अर्थात   V = w / q  
मात्रक -जुल / कूलाम्ब  अन्य मात्रक वोल्ट होता है 
#:- सेल का आन्तरिक प्रतिरोध :- किसी सेल में उपस्थित विद्युत अपघट्य द्वारा विद्युत धारा के मार्ग में उत्पन्न अवरोध को सेल का आंतरिक प्रतिरोध कहते है इसे r से प्रदर्शित  करते है 
इसे निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात करते है –   
      I = E / (R + r ) 
  जहाँ I परिपथ की धारा तथा E विद्युत वाहक बल और r आंतरिक प्रतिरोध है 
 #:- सेल का आंतरिक प्रतिरोध निम्न कारको पर निर्भर करता है – 
1 – सेल की दोनों प्लेटो के बीच की दुरी को बढ़ाने से आंतरिक प्रतिरोध का मान बढ़ जाता है 
 2- विद्युत अपघट्य की सांद्रता को बढ़ाने से सेल का आंतरिक प्रतिरोध बढ़ जाता है 
 3- सेल को लम्बे समय तक उपयोग करने से सेल का आंतरिक प्रतिरोध बढ़ जाता है 
        

CHAPTER-05 PART-05 [NOTES]

CHAPTER-05 PART-05 [VIDEO]
 WELCOME TO FUTURE ZONE ACADEMY
CLASS- 12       
 [PHYSICS] CH -05 PART -05

#:- सेल के टर्मिनल विभवान्तर , विद्युत वाहक बल  और आंतरिक प्रतिरोध में सम्बन्ध :- माना एक सेल जिसका विद्युत वाहक बल E आयर आंतरिक प्रतिरोध r है बाह्य परिपथ में R प्रतिरोध के उपकरण से जुड़ा है तब – 

                                                                                            
note :-  जब सेल को चार्ज किया जाता है तब यह समीकरण निम्न प्रकार हो जाती है –
V=E+iR
 #:- सेलो का संयोजन :- सेलो को सामान्यत: निम्नलिखित क्रम  में जोड़ा जा सकता है – 
 1- श्रेणी क्रम  में                 2- समांतर क्रम में           3- मिश्रित क्रम में  
 #:- श्रेणी क्रम में सेलो का संयोजन :- इस क्रम में सेलो को जोड़ने के लिए एक सेल का धन सिरा दुसरे सेल के ऋण सिरे से जोड़ा जाता है जैसे चित्र में दर्शाया गया है – 

माना श्रेणी क्रम में प्रतिरोध R के साथ n सेल विद्युत वाहक बल E और आंतरिक प्रतिरोध r वाले जोड़े गये है –

                                                                                           
 #:- समांतर क्रम में सेलो का संयोजन :- इस क्रम में सेलो को जोड़ने के लिए प्रत्येक सेल का धन सिरा एक साथ और ऋण सिरा एक साथ जोड़ा जाता है जैसे चित्र में दर्शाया  गया है – 

 माना n सेल जिनका आंतरिक प्रतिरोध r तथा विद्युत वाहक बल E , एक साथ बाह्य प्रतिरोध R के साथ जोड़े गये है तब – 

                                                                                           
                                                                                           
 
#:- मिश्रित क्रम में सेलो का संयोजन :- इस क्रम में सेल श्रेणी और समानर दोनों  में लगे होते है  – 

 माना n सेल जिनका आंतरिक प्रतिरोध r और विद्युत वाहक बल E को श्रेणी में लगाकर  m पंक्तिया  समांतर क्रम में चित्रानुसार  लगाई गयी है तब – 

 
                                                                                            
                                                                                         
 

CHAPTER-05 PART-06 [NOTES]

CHAPTER-05 PART-06 [VIDEO]
 WELCOME TO FUTURE ZONE ACADEMY
CLASS- 12       
 [PHYSICS] CH -05 PART -06 
#:-  किर्चोफ्फ़ के नियम :- वैज्ञानिक किर्चोफ्फ़ ने जटिल विद्युत परिपथो  का अध्ययन कर निम्नलिखित दो नियम प्रतिपादित किये – 
 1- किर्चोफ्फ़ का प्रथम नियम अर्थात संधि नियम :- इस नियम  के अनुसार किसी भी परिपथ में किसी संधि पर मिलने वाली कुल  विद्युत धाराओ का बीज गणितीय योग शून्य होता है
 अर्थात 

      

 अत: इसमें   i1 + i2 + i3 +i4 + i5 = 0 
 
 नोट :- किसी भी संधि की और आने वाली धारा को धनात्मक मानते है जबकि संधि से दूर जाने वाली धारा को रिनात्मक मानते है जैसे :- 

 

2- किर्चोफ्फ़ का द्वितीय नियम अर्थात लूप का नियम :- इस नियम के अनुसार किसी परिपथ के प्रयेक बंद भाग के विभिन्न खंडो में बहने वाली धारा तथा संगत धारा के प्रतिरोध के गुणनफलो का बीज गणितीय योग उस भाग में लगने वाले विद्युत वाहक बलो के बीज गणितीय योग के बराबर होता है अर्थता 

 इस चित्र में दो लूप बन रही है अत:- लूप 1 में – 
R1i1 -i2R2 = E1 – E2  होगा 
 जबकि दूसरी लुप में –  
 i2R2 – (i1 + i2 )R3 = E2

इसे निम्न उदाहरन द्वारा समझा जा सकता है – 

#:- व्हीट स्टोन सेतु :- व्हीट स्टोन सेतु एक एसा परिपथ है जिसके द्वारा किसी अज्ञात प्रतिरोध का मान ज्ञात किया जा सकता है इसका आविष्कार इंग्लैण्ड के प्रोफेसर सी . ऍफ़ . व्हीट स्टोन ने किया था इसलिए इसका यह नाम रखा गया था 

 #:- रचना :- इसमें चार प्रतिरोध P , Q , R  और S  चित्र अनुसार लगे रहते है  और इन्हें बैटरी से जोडकर परिपथ में धारामापी G चित्र अनुइसर लगाया जाता है 1 इन प्रतिरोधो में तीन प्रतोरोध का मान ज्ञात होता है जबकि चोथे s का गीता करना होता है 

#:- सिधांत :- इस सेतु का सिद्धांत संतुलन की स्थति है अर्थात जब सेतु में लगे धारामापी में धारा का मान शून्य हो जाता है तब परिपथ में लगे प्रतिरोध संगत प्रतिरोध के अनुपात में होते है अर्थात   
                          P / Q = R/ S 
  यही सेतु की शर्त भी कहलाती है 

 #:- उत्पत्ति :- 

  #:- मीटर सेतु :- मीटर सेतु व्हीट स्टोन सेतु के आधार पर बनाया गया एक उपकरण है जिसकी सहायता से अज्ञात प्रतिरोध का मान ज्ञात किया जाता है 

 #:- रचना :- इसमें एक मीटर लम्बा एवं एकसमान परिच्छेद बका कांस्टेंटन का तार AC चित्र अनुसार लगा रहता है और इस परिपथ में एक प्रतिरोध बोक्स और अज्ञात प्रतिरोध S भी लगे रहते है जो बैटरी के साथ चित्र अनुसार जुड़े रहते है –

#:- उत्पत्ति :- चूँकि यह व्हीट स्टोन सेतु पर आधारित एक उपकरण है इसलिए इसमें भी 

 #:- मीटर सेतु की सीमाए :- इसकी निम्नलिखित सीमाए है – 
 1- इसकी सहायता से अधिक छोटे प्रतिरोध का मान सही ज्ञात नही किया जा सकता है 
 2- इसके तार  में अधिक देर तक धारा प्रवाहित नही करनी चाहिए क्योंकि इससे तार गर्म होकर सही कार्य नही करता है जिससे प्रतिरोध का मान सही ज्ञात नही किया जा सकता है 
 3- अधिक सुग्रहिता के लिए प्रतिरोध बोक्स में से निकले गये प्रतिरोध का मान एसा होना चाहिए की धारामापी में विक्षोभ न आये  1 

#:-  विभव मापी :- यह एक एसा उपकरण है जिसकी सहायता से दो        बिन्दुओ के बीच विभवान्तर अथवा सेल का विद्युत वाहक बल ज्ञात      किया जा सकता है                                                                                                                      
#:- रचना :- इसमें अधिक विशिष्ट प्रतिरोध वाले मेगनन के टार लगे होते है और बैटरी व धारामापी का चित्र अनुसार संयोजन किया जाता है इसमें लगे टार की लम्बाई एक मीटर होती है  

    
#:- सिद्धांत :- यह उपकरण  विभव प्रवणता के आधार  पर कार्य करता है   अर्थात यदि धारामापी में L लम्बाई पर धारा का मान शून्य पाया जाता है तो  परिपथ में विद्युत विभव  
                       v=E = kxL  होता है  
#:-विभव मापी के उपयोग :- विभव मापी का उपयोग निम्न प्रकार से किया जा सकता है – 
  1- दो सेलो के विद्युत वाहक बलो की तुलना करने में                        
 2- सेल का आंतरिक प्रतिरोध ज्ञात करने में                                       #:- विभव मापी की सहायता से दो सेलो के विद्युत वाहक बलों की तुलना करना :-                                               

विभव मापी के द्वारा सेलो के विद्युत वाहक बलों की तुलना करने के लिए सेलो को चित्रानुसार विभव मापी में जोड़ा जाता है – 

जब परिपथ की पहली कुंजी को ओन किया जाता है तो पहले सेल का विद्युत विभव ज्ञात  करने के लिए विभव मापी में माना L 1 दुरी पर संतुलन की स्थिति प्राप्त  होती है तब – 

E 1 =  k L 1 ————–> समीकरण 1 

इसी प्रकार जब कुंजी दूसरी को ओन करते है तो विभव मापी में माना L 2 पर संतुलन की स्थिति प्राप्त होती है तब – 

               E2 =  k L2   —————–> समीकरण 2            

अत: समीकरण एक व दो से   E1 / E2 = kL1 / KL2 = L1 / L2 
 अत: हम आसानी से तुलना क्र सकते है यदि इसका मान एक से बड़ा होता है तो E1  का मान E 2 से बड़ा होता है अन्यथा E 2 बड़ा होता है 
 #:- विभव मापी की सहायता से सेल का आंतरिक प्रतिरोध ज्ञात करना :- 

विभव मापी के द्वारा सेल का आंतरिक प्रतिरोध  ज्ञात करने  लिए सेल को चित्रानुसार विभव मापी में जोड़ा जाता है – 

 

जब परिपथ की पहली कुंजी को ओन किया जाता है तब माना L 1 पर विभव मापी संतुलन की स्थिति में होता है तब – 
                          E = k L1 ———–>  समीकरण 1 
जब परिपथ की दूसरी कुंजी  को ओन किया जाता है तो माना L 2 पर    विभव मापी संतुलन की स्थिति में होता है तब – 
                             V = kL2   ————>  समीकरण 2 
  अत: सेल का आंतरिक प्रतिरोध 

                         

में समीकरण एक व दो से मान रखकर हल करके प्रतिरोध ज्ञात किया जा सकता है 
……………….THE END …………

                            

                
                             

 

CHAPTER-06 [विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव ]

PART-01
PART-02
PART-03
PART-04
PART-05

CHAPTER-06 PART-01 [NOTES]

CHAPTER-06 PART-01 [VIDEO]

 WELCOME TO FUTURE ZONE ACADEMY
CLASS- 12       
 [PHYSICS] CH -06  PART -01

#:-  चुम्बक :- वह पदार्थ जो किसी अन्य पदार्थ को अपनी ओर आकर्षितअथवा प्रतिकर्षित करता है चुम्बक कहलाता है ,जैसे दण्ड चुम्बक , अश्व चुम्बक 
#:- चुम्बक के गुण :- चुम्बक में निम्नलिखित गुण पाए जाते है –
1 )चुम्बक में सदेव दो धुर्व होते है एक दक्षिणी तो दूसरा उत्तरी धुर्व 
2)चुम्बक स्वतन्त्रता पूर्वक लटकने पर सदेव उत्तर दक्षिण दिशा में ठहरती  है 
3)चुम्बक लोहे जैसे पदार्थो को अपनी ओर आकर्षित करती है 1 
#:- चुम्बकीय क्षेत्र :- किसी चुम्बके के चारो और का क्षेत्र जिसमे चुम्बकीय शुई पर  एक बल आघूर्ण आरोपित होता है जिसके कारण वह घूमकर एक निश्चित दिशा में ठहरती है चुम्बकीय क्षेत्र कहलाता है , इसे B से प्रदर्शित करते है 1 
नोट :- यदि किसी स्थान पर चुम्बकीय क्षेत्र एक समान है तो वह पर चुम्बकीय शुई एक ही स्थान पर ठहरी रहती है 1 
 #:- चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा :- चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा चुम्बकीय क्षेत्र में चुम्बकीय शुई द्वारा ज्ञात की जाती है इसकी दिशा सामान्यत: दक्षिणी धुर्व से उत्तरी धुर्व की ओर होती है 
 #:- चुम्बकीय क्षेत्र की तीर्वता :- किसी स्थान पर चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत रखे एकांक लम्बाई के तार में एकांक धारा प्रवाहित करने पर तार पर कार्यरत बल उस स्थान पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीर्वता कहलाती है 
                                    इसे B से प्रदर्शित करते है इसका मात्रक न्यूटन / एम्पेयर – मीटर अथवा वेबर / मीटर ^2  होता है 1 
#:- चुम्बकीय बल रेखाए :- किसी चुम्बकीय क्षेत्र में वे काल्पनिक रेखाए जो उस स्थान पर चुम्कीय क्षेत्र की दिशा को निरंतर प्रदर्शित करती है चुम्बकीय बल रेखाए कहलाती है 1 
 #:- चुम्बकीय बल रखो के गुण :-इनमे निम्न गुण पाए जाते है –
1 -चुम्बकीय  बल रेखाए सदेव उत्तरी धुर्व से निकलती है तथा दक्षिणी धुर्व में प्रवेश करती है और चुम्बक के भीतर पुन: उत्तरी धुर्व पर वापस आ जाती है 
  2- चुम्बकीय बल रेखाए सदेव बंद वक्र बनाती है 
3- चुम्बकीय बल रेखाए एक दुसरे को नही कटती है क्योंकि यदि एसा होता है तो कटन बिंदु  पर दो स्पर्श रेखा खिची जा सकेगी जो दो अलग अलग चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करेगी जो की असम्भव है 
4- एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में बल रेखाए एक समान दुरी पर होती है 

CHAPTER-06 PART-02 [NOTES]

CHAPTER-06 PART-02 [VIDEO]]

 WELCOME TO FUTURE ZONE ACADEMY
CLASS- 12       
 [PHYSICS] CH -06  PART -02 

#:- ओरेस्टड का प्रयोग :- सन 1820 में ओरेस्टड ने अनेक प्रयोग किये और निष्कर्ष निकाला कि ” जब किसी चालक तार में धारा प्रवाहित की जाती है तो उसके चारो ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है जो पास में रखी चुम्बकीय सुई को विक्षेपित करता है 

#:- बायो सेवर्ट का नियम :- बायो और सेवर्ट दोनों वैज्ञानिको ने चालक में धारा प्रवाहित करके उसके चारो ओर उत्पन्न  चुम्बकीय क्षेत्र का अध्ययन किया और बताया कि – 
माना AB एक चालक तार है जिसमे धारा i बह रही है तार के एक छोटे से खण्ड dl के मध्य बिंदु O से r मीटर की दुरी पर धारा की दिशा से θ कोण बनाते हुए कोई बिंदु p है जिस पर चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात करना है 
प्रयोगों द्वारा देखा गया कि 
 
 
#:-  विशेष स्थितिया :- 
#:- चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात करने के नियम :- चुम्बकीय क्षेत्र  की दिशा निम्न नियमो द्वारा ज्ञात की जाती है – 
1 – दायें हाथ की हथेली के नियम से :- इसे आप चित्र द्वारा समझ सकते है 
 2-मैक्सवेल का दायें हाथ का नियम :- इसे आप निम्न चित्र द्वारा समझ सकते है –
नोट :- ये नियम बोर्ड में नही पूछे जाते है लेकिन ये आपके लिए एक कांसेप्ट है जिसकी सहायता से आप आगे न्यूमेरिकल हल करेंगे 
#:- चुम्बक शीलता :- जिस प्रकार आपने विद्युत क्षेत्र में विद्युत शीलता देखि ठीक उसी प्रकार चुम्बकीय क्षेत्र में भी चुम्बक शीलता होती है जिसे म्यु नोट μ0  से दर्शाते   है –
 इसका मान –
मात्रक – न्यूटन / एम्पेयर ^2   अथवा  वेबर प्रति एम्पेयर – मीटर 
 #:- आपेक्षित चुम्बक शीलता :- किसी माध्यम की चुम्बक शीलता और नीरवत की चुम्बक शीलता के अनुपात को आपेक्षित चुम्बक  शीलता कहते है इसे μr  से प्रदर्शित करते है 
#:- चुम्बक शीलता और विद्युत शीलता में सम्बन्ध :- 

CHAPTER-06 PART-03 [NOTES]

CHAPTER-06 PART-03 [VIDEO]

WELCOME TO FUTURE ZONE ACADEMY
CLASS- 12       
 [PHYSICS] CH -06  PART -03 

#:-परिमित लंबाई के रिजुरेखिय धारावाही चालक के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र:-माना AB एक सीधा धारावाहि चालक तार है जिसमें I धारा बह रही है इसके कारण R दूरी पर स्थित बिंदु p पर चुंबकीय क्षेत्र ज्ञात करना है तब चित्रानुसार बायो सेवृत के नियम अनुसार  dl अल्पांश दूरी के कारण चुंबकीय क्षेत्र – 

 
 
 

विशेष स्थितियां :- 

#:- वृत्ताकार धारावाहिक कुंडली के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र:- माना r त्रिज्या की वृत्ताकार कुंडली के रूप में कागज के तल मैं I  एंपियर की धारा प्रवाहित हो रही है और कुंडली के केंद्र पर चुंबकीय क्षेत्र ज्ञात करना है तब चित्र अनुसार

 

माना एक छोटे से खंड AB के जिसकी लंबाई dl के अनुसार  बायो सेवर्ट का नियम से 

 
 
 
 
 
 
 
 
 

chapter-06 part-04 [notes]

CHAPTER-06 PART-04 [VIDEO]

WELCOME TO FUTURE ZONE ACADEMY
CLASS- 12       
 [PHYSICS] CH -06  PART -04

#:- व्रत्ताकार धारावाही कुंडली की अक्ष पर चुम्बकीय क्षेत्र के लिए व्यंजक :- माना R त्रिज्या की एक व्रत्ताकार कुंडली में i धारा प्रवाहित हो रही है और कुंडली के अक्ष पर केंद्र O से x दुरी पर स्थित बिंदु p पर चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात करना है 
तब चित्रानुसार बायो सेवर्ट के नियम अनुसार धारावाही अल्पांश दुरी के कारण बिंदु p पर चुम्बकीय क्षेत्र –
ज्क्ब्जक्ब्ज्ब 
 
चित्र से स्पष्ट है की चुम्बकीय क्षेत्र कागज के तल के लम्बवत है इसलिए चित्र अनुसार घटक करने पर स्पष्ट उर्ध्वाधर घटक एक दुसरे को निरस्त कर  देते है अत: केवल अक्षीय घटक शेष रह जाता है इसलिए बिंदु p पर कुल चुम्बकीय क्षेत्र  – 
 
विशेष स्थितिया :- जब x = 0 होता है तब –  
#:- व्रत्ताकार धारावाही कुंडली अथवा लूप के कारन चुम्बकीय क्षेत्र :- जब किसी व्रत्ताकार कुंडली में धारा प्रवाहित की जाती है तो उसके चारो ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है जिसकी दिशा चित्रानुसार होती है – 
 
 नोट :- गतिमान आवेश के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र निम्नलिखित सूत्र द्वारा ज्ञात किया जाता है –
जहाँ  q – आवेश  , v – आवेश का वेग , और r दुरी है इसकी दिशा दायें हाथ के हथेली के नियम से ज्ञात की जाती है 

WELCOME TO FUTURE ZONE ACADEMY
CLASS- 12       
 [PHYSICS] CH -06  PART -04

#:- व्रत्ताकार धारावाही कुंडली की अक्ष पर चुम्बकीय क्षेत्र के लिए व्यंजक :- माना R त्रिज्या की एक व्रत्ताकार कुंडली में i धारा प्रवाहित हो रही है और कुंडली के अक्ष पर केंद्र O से x दुरी पर स्थित बिंदु p पर चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात करना है 
तब चित्रानुसार बायो सेवर्ट के नियम अनुसार धारावाही अल्पांश दुरी के कारण बिंदु p पर चुम्बकीय क्षेत्र –
ज्क्ब्जक्ब्ज्ब 
 
चित्र से स्पष्ट है की चुम्बकीय क्षेत्र कागज के तल के लम्बवत है इसलिए चित्र अनुसार घटक करने पर स्पष्ट उर्ध्वाधर घटक एक दुसरे को निरस्त कर  देते है अत: केवल अक्षीय घटक शेष रह जाता है इसलिए बिंदु p पर कुल चुम्बकीय क्षेत्र  – 
 
विशेष स्थितिया :- जब x = 0 होता है तब –  
#:- व्रत्ताकार धारावाही कुंडली अथवा लूप के कारन चुम्बकीय क्षेत्र :- जब किसी व्रत्ताकार कुंडली में धारा प्रवाहित की जाती है तो उसके चारो ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है जिसकी दिशा चित्रानुसार होती है – 
 
 नोट :- गतिमान आवेश के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र निम्नलिखित सूत्र द्वारा ज्ञात किया जाता है –
जहाँ  q – आवेश  , v – आवेश का वेग , और r दुरी है इसकी दिशा दायें हाथ के हथेली के नियम से ज्ञात की जाती है 

CHAPTER-06 PART-05 [NOTES]

CHAPTER-066 PART-05 [VIDEO]

WELCOME TO FUTURE ZONE ACADEMY
CLASS- 12       
 [PHYSICS] CH -06  PART -05 

#:- एम्पेयर का परिपथीय  नियम :-इस नियम के अनुसार चुम्बकीय  क्षेत्र  प्रेरण किसी बंद वक्र के लिए रेखीय समाकलन , वक्र द्वारा घेरे गये क्षेत्रफल से होकर प्रवाहित कुल धारा i का म्यु नोट गुना होता है 
 अर्थात – 
proof :- माना एक लम्बे ऋजु रेखीय चालक तार में i धारा निचे से ऊपर की ओर बह रही है 1 यदि चालक तार के चारो ओर r त्रिज्या का एक व्र्त्तीय पथ हो तो इस पथ के किसी बिंदु p पर धारावाही चालक के कारन उत्पन्न  चुम्बकीय क्षेत्र का परिणाम – 
 
#:- एम्पेयर के परिपथीय नियम के अनुप्रयोग – इस नियम के निम्नलिखित अनुप्रयोग है – 
 1- अनंत लम्बाई के ऋजु रेखीय धारावाही तार के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र -माना अनंत लम्बाई के एक ऋजु रेखीय तार में i धारा बह रही है तथा तार से r दुरी पर स्थित बिंदु p पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीर्वता ज्ञात करनी है तब चित्रानुसार धारावाही तार के चारो ओर r त्रिज्या का वर्त्त खींचते है जिसका केंद्र तार होता है अत: एम्पेयर के परिपथीय नियम  से 
 
 
#:- लम्बी परिनालिका के भीतर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र -माना एक परिनालिका की लम्बाई उसके व्यास की तुलना में बहुत बड़ी है तथा इसमें i धारा बह रही है 1 इसमें अंदर किसी बिंदु p पर चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात करना है तब चित्रानुसार एम्पेयर के परिपथीय के नियम के अनुसार आयताकार पथ ABCD द्वारा AB परिनालिका को बंद करने पर 
#:- टोरोइड :- एक बंद वलय के रूप में मोड़ी गयी लम्बी परिनालिका को टोरोइड कहते है – 

नोट :- टोरोइड की क्रोड़ के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र परिनालिका के समान होता है-

        
                ………..THE END……….
 
 
 

CHAPTER

OUR DAILY VISITOR 2,669

Latest Post

  • TradingView Premium Free for Windows and macOS
  • Samsung F02s Frp Loader File
  • Nothing Phone 2A Flash File (Stock-Rom)
  • Realme C25Y RMX3265 Flash File
  • Xiaomi Civi 4 Pro Flash File

Most Viewed Posts

  • How To Get 90% Plus Marks In Board Exam
  • Try To Solve Class 12th Chemistry Paper
  • 11 Most Profitable Niches List (Micro Niches)
  • Vivo Y81 Y83 Y85 Mtk Test Point
  • Redmi 8A Dual MIUI 12 Latest Flash File
  • Vivo T1 5G Test Point
  • Vivo Y12 Mediatek Test Point
  • Unlocktool Crack No Need Activation
  • Vivo S1 Mediatek Test Point
  • Huawei P40 Lite JNY-LX1 Test Point

Categories List

  • Blogging
  • Blogging Course
  • crack tool
  • frp file
  • Games & News
  • iPhone
  • mobile solution
  • Mobile Specifications
  • OnePlus
  • Oppo File
  • Paid
  • Realme File
  • Test point
  • up board education
  • Xiaomi File

Products

  • rft loader RFT OTP For OnePlus Login Tool (RFT Loader) ₹400.00 Original price was: ₹400.00.₹280.00Current price is: ₹280.00.
  • Ga Pro Loader Otp Realme OTP For Rcsm Login Tool (Ga Pro Loader) ₹300.00 Original price was: ₹300.00.₹250.00Current price is: ₹250.00.
  • Realme OTP For Rcsm Login Tool Realme OTP For Rcsm Login Tool (Meow Loader) ₹150.00 Original price was: ₹150.00.₹130.00Current price is: ₹130.00.
  • uni android tool latest setup Uni-Android Tool UAT PRO - 03 Months Activation/Renewel ₹1,760.00 Original price was: ₹1,760.00.₹1,550.00Current price is: ₹1,550.00.
  • uni android tool latest setup Uni-Android Tool UAT PRO - 06 Months Activation/Renewel ₹2,660.00 Original price was: ₹2,660.00.₹2,450.00Current price is: ₹2,450.00.
  • uni android tool latest setup Uni-Android Tool UAT PRO - 24 Months Activation/Renewel ₹6,200.00 Original price was: ₹6,200.00.₹6,000.00Current price is: ₹6,000.00.
  • uni android tool latest setup Uni-Android Tool UAT PRO - 12 Months Activation/Renewel ₹4,400.00 Original price was: ₹4,400.00.₹4,200.00Current price is: ₹4,200.00.
  • ikey iKey Prime (Gsm/Meid) WITH SIGNAL iPhone x ₹5,050.00 Original price was: ₹5,050.00.₹4,950.00Current price is: ₹4,950.00.
  • ikey iKey Prime (Gsm/Meid) WITH SIGNAL iPhone 8/8 Plus ₹3,650.00 Original price was: ₹3,650.00.₹3,600.00Current price is: ₹3,600.00.
  • ikey iKey Prime (Gsm/Meid) WITH SIGNAL iPhone 7/7 Plus ₹3,050.00 Original price was: ₹3,050.00.₹2,900.00Current price is: ₹2,900.00.
new logo

All Mobile Firmware & Premium Tools, Android Error Solutions, Games Update & News, Tech News, Movie News , Net Worth & Many More Things Can Be Found Here.

Category

  • Realme File
  • Xiaomi File
  • Mobile Specifications
  • mobile solution
  • up board education
  • frp file
  • Test point

Information

Terms and conditions
Privacy Policy
Contact Us
Disclaimer
Tech Blog
Login
Apple Tools To Remove iCloud

Join Us

join us

Copyright © 2023- All rights reserved.

  • Privacy Policy
  • Terms and conditions
  • Contact Us
  • Disclaimer
  • Tech Blog
  • Login